Thursday, June 21, 2012

ए चांद

ए चांद तू आज
उनको मिलके आजा

उन्होने हमें याद किया है.
उनकी आखों से गिरे
आंसू को हमने
अब भी मेहसूस किया है

ये जो बारीश है
वो उनके आंसू है
जो आज हमें
याद कर के गिर रहे है.

कल हम हो ना हो
तो इस चाँद को ही
मिलने केह देंगे......
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©प्रशांत शिंदे

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